‘थर्मोपल्ली ऑफ़ मेवाड़’ के नाम से विश्व विख्यात हल्दीघाटी का नाम सुनते ही वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप द्वारा मातृभूमि के स्वाभिमान की रक्षार्थ लड़े गये ऐतिहासिक जनयुद्ध का स्मरण आ जाता है।
हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को ऐतिहासिक तंग पहाड़ी दर्रे से खमनोर के खुले मैदान में बनास नदी व आगे तक लड़ा गया था। आज उसका कुछ स्वरुप ही संरक्षित रह पाया है । भारतीय पुरातत्व विभाग एवं पर्यटन विभाग के संरक्षण में मूल युद्ध स्थल रक्त तलाई, शाही बाग,हल्दीघाटी दर्रा, चेतक समाधी,चेतक नाला सहित महाराणा प्रताप राष्ट्रीय स्मारक पर्यटकों के लिए निःशुल्क दर्शनीय है। मार्ग में रणमुक्तेश्वर महादेव प्राचीन गुफा के बारे में कहा जाता है कि इसे युद्ध के दौरान मन्त्रणा के लिए इस्तेमाल किया गया था।
खमनोर से बलीचा गांव तक छः किलोमीटर में फैला रणक्षेत्र हल्दीघाटी के नाम से जाना पहचाना जाता है। यहाँ सरकारी स्तर पर बनने वाला संग्रहालय पूंजीवादी भ्रष्टाचार के चलते आज तक बन नहीं सका। महाराणा प्रताप राष्ट्रीय स्मारक को सरकार द्वारा आज तक राष्ट्रीय स्मारक घोषित नहीं किया है।
सरकारी मान्यता प्राप्त संग्रहालय हल्दीघाटी से 40 किलोमीटर झीलों की नगरी उदयपुर सिटी पैलेस में है। महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी निशानियां एवं प्राचीन शस्त्र सहित अन्य सामग्री उदयपुर सिटी पैलेस संग्रहालय में सुरक्षित है।
जागो जनता सरकार,
हल्दीघाटी देश के स्वाभिमान का प्रतीक अमर तीर्थ है। इसकी उपेक्षा उचित नहीं है। यह शहीदों के रक्त से डूबी है व आज भी यहाँ देशभक्त शहीद चिरनिद्रा में लीन है। यह बलिदानी माटी वंदनीय होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है इसके संरक्षण में एकजुट हो आवाज बने। रक्त तलाई से चेतक समाधि एवं राष्ट्रीय स्मारक तक केंद्र व राज्य सरकार की अनदेखी स्थानीय पर्यटन विकास में अनदेखी कर रही हैं ! दुष्परिणाम सामने है कि स्मारक पर सरकारी संग्रहालय का निर्माण वर्तमान तक नहीं हो पाया है। पर्यटन माफिया सक्रिय होकर हल्दीघाटी स्मारक के इर्दगिर्द अतिक्रमण कर प्राकृतिक पहाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर रहे है। प्राकृतिक नालों पर अतिक्रमण कर व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है।
यहाँ सरकारी स्तर पर बनने वाला संग्रहालय पूंजीवादी भ्रष्टाचार के चलते आज तक बन नहीं सका। महाराणा प्रताप राष्ट्रीय स्मारक को सरकार द्वारा आज तक राष्ट्रीय स्मारक घोषित नहीं किया है। सरकारी मान्यता प्राप्त संग्रहालय हल्दीघाटी से 40 किलोमीटर झीलों की नगरी उदयपुर सिटी पैलेस में है। महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी निशानियां एवं प्राचीन शस्त्र सहित अन्य सामग्री उदयपुर सिटी पैलेस संग्रहालय में सुरक्षित है।
हल्दीघाटी के मुख्य दर्शनीय स्थल –
युद्धभूमि रक्त तलाई, खमनोर – हल्दीघाटी का मूल रणक्षेत्र है जहाँ आज भी शहीदों की स्मृति में छतरियां एवं स्मारक मौजूद है।
* मुुुग़ल पडाव बादशाही बाग़ , खमनोर – हल्दीघाटी
* हल्दीघाटी का मूल दर्रा – खमनोर – हल्दीघाटी
* प्रताप गुफा – बलीचा
* चेतक समाधी,बलीचा
* महाराणा प्रताप राष्ट्रीय स्मारक,बलीचा
।। मेवाड़ी महामंत्र है सब ग्रंथन को सार, जो दृढ़ राखे धर्मं को ताहि राखे करतार ।।