वीर शिरोमणि ,प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप की रणस्थली हल्दीघाटी के विकास की आड़ में बरसों से चली आ रही लीपापोती से आहत क्षेत्र के युवाओं ने इसके समाधान न होने तक सैद्धांतिक स्वाभिमानी संघर्ष का ऐलान किया है।
हल्दीघाटी पर्यटन विकास समिति ने 19 जनवरी 2018 को वीर प्रताप की पुण्यतिथि पर जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर मेवाड़ कॉम्प्लेक्स योजना के तहत हल्दीघाटी में कराये गए वर्तमान तक के कार्यो में स्थानीय पर्यटक माफिया की संदिग्ध भूमिका से अवगत कराते हुए अधूरे पड़े स्मारक के संरक्षण की मांग की । महाराणा प्रताप से जुडी एक भी ऐतिहासिक सामग्री का प्रदर्शन न कर नकली वस्तुओं के संग्रह को संग्रहालय का नाम देकर पर्यटकों से धोखाधड़ी के खिलाफ प्रदर्शन किया ।
ज्ञात रहे कि हल्दीघाटी के जनयुद्ध की साक्षी रण धरा रक्त तलाई से लेकर राष्ट्रीय स्मारक तक संरक्षण के अभाव में उपेक्षित है व महाराणा प्रताप के नाम पर रोटियां सेकी जा रही है। स्मारक के विकास हेतु आरक्षित भूमि का भ्रष्टाचार से आवंटन किया गया व वर्तमान में भी एक पहाड़ी को नष्ट कर हल्दीघाटी का प्राकृतिक स्वरुप नष्ट कर निजी दुकान के लिए पार्किंग का इस्तेमाल किया जा रहा है। पूर्व में अतिक्रमण नही करने हेतु पाबंद भ्रष्ट पूंजीवादी द्वारा पुनः अतिक्रमण कर नाले को भराव से भर पर्यावरण का नुकसान किया गया है। महाराणा प्रताप स्मृति संस्थान के जिम्मे चल रहे राष्ट्रीय स्मारक की दुर्दशा हेतु जिम्मेदार निजी संग्रहालय मालिक द्वारा संस्थान के संस्थापक होने का नाजायज लाभ उठा कर मात्र 15 साल में हल्दीघाटी की परिभाषा बदल दी गई है। वर्तमान में पर्यटक सड़क किनारें लगे कथित संग्रहालय के बोर्ड को देख सीधे बलीचा में 100 रूपये का भुगतान कर मूल स्थलों को देख पाने से वंचित रहते है। प्रशासनिक स्तर पर नजरअंदाज होना मिलीभगत का संदेह पैदा करता है। हल्दीघाटी पर्यटन विकास समिति द्वारा ज्ञापन के जरिये निश्चित समय सीमा में समाधान की मांग की व पूरी नहीं होने की दशा में जन आंदोलन का आगाज किया जायेगा।